शतावर एक दिव्य ओषधि by VAID BABA G
“ जय गुरुदेव ”
प्रिय भाई बहनों आज मैं आपको दिव्य ओषधि शतावर के बारे मे जानकारी दूंगा, शतावर प्राय हर जगह पाई जाती है यह पौधा अधिकतर सजावट के लिए भी प्रयोग होता है, इस पोधे मे अनेक गुण पाये जाते हैं जिनसे अधिकतर लोग परिचित नही होते, मैं आपको इसकी गुण विशेषता के बारे मे इसके सेवन की विधि के बारे मे बताऊंगा
प्रिय भाई बहनों आज मैं आपको दिव्य ओषधि शतावर के बारे मे जानकारी दूंगा, शतावर प्राय हर जगह पाई जाती है यह पौधा अधिकतर सजावट के लिए भी प्रयोग होता है, इस पोधे मे अनेक गुण पाये जाते हैं जिनसे अधिकतर लोग परिचित नही होते, मैं आपको इसकी गुण विशेषता के बारे मे इसके सेवन की विधि के बारे मे बताऊंगा
शतावरी एक चमत्कारी औषधि है जिसका र मटर के समानफल पकने पर लाल रंग के होते हैं।
उपयोग कई रोगों के इलाज में किया जाता है। यह पौधा झाड़ीनुमा होता है, जिसमें फूल व मंजरियां एक से दो इंच लम्बे एक या गुच्छे में लगे होते हैं औ
आयुर्वेद के आचार्यों के अनुसार, शतावर पुराने से पुराने रोगी के शरीर को रोगों से लडऩे की क्षमता प्रदान करता है। इसे शुक्रजनन,शीतल ,मधुर एवं दिव्य रसायन माना गया है।
महर्षि चरक ने भी शतावरी को चिर यौवन को बरकार रखने वाला माना है। आधुनिक शोध भी शतावरी की जड़ को हृदय रोगों में प्रभावी मान चुके हैं।
महर्षि चरक ने भी शतावरी को चिर यौवन को बरकार रखने वाला माना है। आधुनिक शोध भी शतावरी की जड़ को हृदय रोगों में प्रभावी मान चुके हैं।
अब हम आपको शतावरी के कुछ आयुर्वेदिक योग की जानकारी देंगे, जिनका औषधीय प्रयोग चिकित्सक के निर्देशन में करना अत्यंत लाभकारी होगा।
- यदि आप नींद न आने की समस्या से परेशान हैं तो बस शतावरी की जड़ को खीर के रूप में पका लें उसमें थोड़ा गाय का घी डालें और ग्रहण करें। इससे आप तनाव से मुक्त होकर अच्छी नींद ले पाएंगे।
- यदि आप नींद न आने की समस्या से परेशान हैं तो बस शतावरी की जड़ को खीर के रूप में पका लें उसमें थोड़ा गाय का घी डालें और ग्रहण करें। इससे आप तनाव से मुक्त होकर अच्छी नींद ले पाएंगे।
-शतावरी की ताजी जड़ को मोटा-मोटा कुट लें, इसका स्वरस निकालें और इसमें बराबर मात्रा में तिल का तेल मिलाकर पका लें।इस तेल को माइग्रेन जैसे सिरदर्द में लगाएं और लाभ देखें।
-यदि रोगी खांसते-खांसते परेशान हो तो शतावरी चूर्ण - 1.5 ग्राम, वसा के पत्ते का स्वरस 2.5 मिली, मिश्री के साथ लें और लाभ देखें।
-प्रसूता स्त्रियों में दूध न आने की समस्या होने पर शतावरी का चूर्ण -पांच ग्राम गाय के दूध के साथ देने से लाभ मिलता है।
-प्रसूता स्त्रियों में दूध न आने की समस्या होने पर शतावरी का चूर्ण -पांच ग्राम गाय के दूध के साथ देने से लाभ मिलता है।
-पुरुष यौन शिथिलता से परेशान हो तो शतावरी पाक या केवल इसके चूर्ण को दूध के साथ लेने से लाभ मिलता है।
-यदि रोगी को मूत्र से सम्बंधित विकृति हो तो शतावरी को गोखरू के साथ लेने से लाभ मिलता है।
-यदि रोगी को मूत्र से सम्बंधित विकृति हो तो शतावरी को गोखरू के साथ लेने से लाभ मिलता है।
- शतावरी मूल का चूर्ण -2.5 ग्राम, मिश्री -2.5 ग्राम को एक साथ मिलाकर पांच ग्राम क़ी मात्रा में रोगी को सुबह शाम गाय के दूध के साथ देने से प्रमेह, प्री -मैच्योर इजेकुलेशन (स्वप्न-दोष ) में लाभ मिलता है।
-शतावरी के जड़ के चूर्ण को पांच से दस ग्राम की मात्रा में दूध के साथ नियमित रूप से सेवन करने से धातु वृद्धि होती है।
-वातज ज्वर में शतावरी के रस एवं गिलोय के रस का सेवन करने से ज्वर (बुखार) से मुक्ति मिलती है।
-शतावरी के रस को शहद के साथ लेने से जलन, दर्द एवं अन्य पित्त से सम्बंधित बीमारियों में लाभ मिलता है।
इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर करे। परमात्मा आप को लंबी सेहतमंद उम्र दे ,आपका जीवन सफल हो ,…जय गुरुदेव
आप वेध जी को शनिवार व रविवार को दिल्ली मे मिल सकते हे,हमको friend request न भेजे बल्कि
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वैध बाबा जी
गुरु कृपा आयुर्वेद आश्रम,नंगल रोड ,रोपड़ ,पंजाब
संपर्क सूत्र ;094171-66756,099153-35687
-शतावरी के रस को शहद के साथ लेने से जलन, दर्द एवं अन्य पित्त से सम्बंधित बीमारियों में लाभ मिलता है।
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